CLAT PG: क्लैट पीजी स्कोर से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से नौकरी मिलेगी या नहीं. इसका फैसला कल, 8 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट करेगा. कोर्ट कल NHAI की उस अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें वकीलों की भर्ती के लिए क्लैट-पीजी के अंकों को आधार बनाया गया है. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने हाल ही में इस मामले की संक्षिप्त सुनवाई की थी.
कोर्ट ने याचिका पर आगे की सुनवाई 8 सितंबर की डेट निर्धारित की है. वकील शन्नू बहगेल द्वारा दायर याचिका के अनुसार, कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट 2022 (पोस्ट ग्रेजुएट) क्लैट पीजी में किसी भी उम्मीदवार के अंकों को सार्वजनिक रोजगार का आधार नहीं बनाया जा सकता क्योंकि यह केवल एलएलबी डिग्री धारक संबंधित उम्मीदवारों की लाॅ में मास्टर डिग्री हासिल करने की योग्यता का आकलन करने के लिए आयोजित किया जाता है. पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि 11 अगस्त की अधिसूचना के अनुसार चयन का उद्देश्य लाॅ में मास्टर डिग्री हासिल करना नहीं, बल्कि एक कानूनी पेशेवर की सेवाएं प्रदान करना है.
NHAI ने कोर्ट से मांगा था समय
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्यों और ऐसे चयन के लिए योग्यता तैयार करने के आधार के बीच कोई उचित या तर्कसंगत संबंध प्रतीत नहीं होता. एनएचएआई के वकील ने अदालत से अधिकारियों से निर्देश प्राप्त करने के लिए समय देने का आग्रह किया था. पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि क्लैट-पीजी परीक्षा का उद्देश्य उच्च शिक्षा के लिए योग्यता का आकलन करना था न कि सार्वजनिक रोजगार के लिए.
NHAI नोटिफिकेशन को दी गई है चुनौती
याचिकाकर्ता ने एनएचएआई की 11 अगस्त की अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसमें क्लैट 2022 और पीजी लाॅ प्रवेश परीक्षा के बाद के संस्करणों में प्राप्त अंकों के आधार पर 44 युवा पेशेवर उम्मीदवारों की नियुक्ति की मांग की गई थी.उन्होंने कहा कि क्लैट पीजी अंकों को सार्वजनिक रोजगार के लिए चयन का आधार नहीं बनाया जा सकता और तर्क दिया कि अधिसूचना मनमानी और अनुचित है क्योंकि यह एनएचएआई में सार्वजनिक रोजगार केवल उन उम्मीदवारों के लिए सीमित करती है जो वर्ष 2022 के बाद क्लैट पीजी में उपस्थित हुए थे.
तर्कहीन है NHAI का नियम
याचिका में कहा गया है कि यह भर्ती केवल उन उम्मीदवारों तक सीमित है, जो CLAT 2022 और उसके बाद PG में शामिल हुए हैं और अन्य सभी विधि स्नातकों और अभ्यासरत अधिवक्ताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है. CLAT 2022 के बाद (स्नातकोत्तर) स्कोर के आधार पर चयन को प्रतिबंधित करने का नियम मनमाना और तर्कहीन है.