West Bengal SSC Teacher Exam 2025: शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हुए 3.19 लाख अभ्यर्थी, पहली बार दी गई कैंडिडेट्स को ये अनुमति
पश्चिम बंगाल एसएससी की स्कूल स्तरीय चयन परीक्षा (SLST) में लगभग 3.19 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए. परीक्षा का आयोजन आज, 7 सितंबर को किया गया था. एग्जाम कड़ी सुरक्षा के बीच राज्य भर में निर्धारित किए गए 636 केंद्रों पर आयोजित किया गया था. अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकारी स्कूलों में 26,000 से ज्यादा नौकरियों को रद्द करने के बाद पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) द्वारा आयोजित यह पहली शिक्षक भर्ती परीक्षा थी. सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में हुई भर्ती प्रक्रिया को धांधली के कारण रद्द कर दिया था.
परीक्षा दोपहर 12 बजे शुरू हुई और 1.30 बजे समाप्त हुई. दिव्यांग अभ्यर्थियों को एग्जाम में 20 मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया था. कक्षा 9वीं और 10वीं में सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा शुरू होने से पहले केंद्रों के गेट पर उम्मीदवारों की कड़ी जाँच की गई. बिहार और उत्तर प्रदेश के कई उम्मीदवार भी परीक्षा में शामिल हुए.
3 चरण की जांच के बाद दिया गया प्रवेश
परीक्षा केंद्रों पर त्रि-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई थी, जिसमें परीक्षा स्थल से 100 मीटर की दूरी पर नाका जांच और प्रवेश गेट और परिसर में कई बार जांच शामिल थी. गहन जांच के बाद ही अभ्यर्थियों को एग्जाम हाॅल में प्रवेश दिया गया. सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक उम्मीदवार को परीक्षा शुरू होने से दो घंटे पहले सुबह 10 बजे से ही केंद्रों पर उपस्थित होने के लिए कहा गया था. एग्जाम सेंटर गेट पर एडमिट कार्ड की जांच के लिए बारकोड स्कैनर का इस्तेमाल किया गया था और केवल पेन ही अंदर ले जाने की अनुमति थी.
इन पर लगाया गया था प्रतिबंध
किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या मोबाइल फोन की अनुमति नहीं थी. यहां तक कि परीक्षा केंद्र के पर्यवेक्षकों और एसएससी अधिकारियों को भी परीक्षा हॉल में मोबाइल फोन ले जाने पर रोक थी. डब्ल्यूबीएसएससी ने अनुचित साधनों का उपयोग करने वाले उम्मीदवारों पर नजर रखने के लिए प्रत्येक प्रश्न पत्र में विशिष्ट पहचान सुरक्षा सुविधाओं का इंतजाम किया था.
OMR शीट की कार्बन कॉपी ले जाने की थी अनुमति
पहली बार एग्जाम में शामिल अभ्यर्थियों को अपने प्रश्न पत्र और अपनी ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी घर ले जाने की अनुमति दी गई थी, जिसके बारे में अधिकारियों ने कहा कि यह कदाचार रोकने के लिए एक पारदर्शिता उपाय है. पहली बार परीक्षा देने वाले कई उम्मीदवारों ने कहा कि प्रश्न सरल थे, जबकि अन्य का मानना था कि अगर उन्होंने बेहतर तैयारी की होती तो उनका प्रदर्शन बेहतर हो सकता था.